CUPPING THERAPY
कपिंग थेरेपी
कपिंग थेरेपी
कपिंग थेरेपी के तहत कप के नीचे वैक्यूम बनाकर इन्हें स्किन के खास बिंदुओं पर रखा जाता है, जो स्किन को अपनी ओर खींचता है। इससे पहले कप को अल्कोहल, जड़ी- बूटियों या कागज से गरम किया जाता है। कप को गरम करने के बाद खुले मुंह की तरफ से कप को स्किन पर रख दिया जाता है। स्किन पर जैसे ही कप को रखा जाता है, वहां वैक्यूम बन जाता है और कप स्किन को अपनी ओर खींचता है। कपिंग थेरेपी इलाज का एक परंपरागत तरीका है, जिसे कराने के बाद लोगों को दर्द से राहत मिलती है। इसे आप सक्शन कप भी कह सकते है, जो मसल्स पर प्रेशर नहीं डालता है बल्कि मसल्स को खींचता है। कई दफा कपिंग थेरेपी से स्किन लाल भी पड़ जाती है। लेकिन यह लालिमा कुछ ही दिनों में ठीक भी हो जाती है।
कपिंग थेरेपी दो तरीके से की जाती है, हालांकि वेट कपिंग से लोग ज्यादा इलाज करते हैं।
ड्राई कपिंग थेरेपी के तहत कप को गरम खुशबूदार तेलों में डूबोने के बाद स्किन के खास एक्यूप्रेशर बिंदुओं पर ख दिया जाता है ताकि यह कप अपना इलाज कर सके। इससे वैक्यूम क्रिएट होता है और कप के अंदर हवा ठंडी हो जाती है, जो स्किन को खींचती है और इस तरह इलाज होता है। कुछ तरीकों में अल्कोहल में रुई को भिगोकर जलाया जाता है। इसके जरिए कप को गरम करने के बाद स्किन पर रखा जाता है। इसे कुछ लोग फायर कपिंग भी कहते हैं। कपिंग थेरेपी के तहत कप को स्किन पर पांच- दस मिनट के लिए ही रखा जाता है।
वेट कपिंग थेरेपी के तहत इलाज के दौरान कप को तुरंत हटा दिया जाता है। इस दौरान स्किन से खून को निकालने के लिए एक चीरा भी लगाया जाता है, जो काफी छोटा होता है। वेट कपिंग को हिजामा भी कहा जाता है और हिजामा के फायदे (hijama ke fayde) भी बहुत लाभदायक हैं। बस इस बात का ध्यान रखें जहाँ से भी आप हिजामा करवा रहे हैं, उन्हें हिजामा करने का तरीका सही से पता हो।
कपिंग थेरेपी ब्लड सर्कुलेशन को बढ़िया करने में कारगर है। खासकर शरीर के उस हिस्से में ब्लड सर्कुलेशन को तेज कर देता है, जहां कप लगाए जाते हैं। इससे मसल्स को प्रेशर से मुक्ति मिलती है। नसों को मजबूती प्रदान करके रक्त संचार को बढ़ाता है।
आप भले ही हेल्दी डाइट ले रही हों, लेकिन हवा में व्याप्त प्रदूषण के जरिए टॉक्सिन आपके शरीर में प्रवेश कर ही जाते हैं। ऐसे में कपिंग थेरेपी शरीर के अंदर की गंदगी को बाहर निकालकर शरीर को डिटॉक्सिफाई करने का भी काम करता है। यह ब्लड सप्लाई को सुधार कर डेड स्किन सेल्स को खत्म करता है और तुरंत शरीर से खून के जरिए टॉक्सिन को बाहर निकालता है।
इंफ्लेमेशन किसी मसल या टिश्यू ग्रुप में हो सकता है। कपिंग थेरेपी शरीर के उस प्रभावित हिस्से में रक्त सुर्कलेशन को दुरुस्त करके इंफ्लेमेशन को कम करता है। जैसे ही रक्त संचार दुरुस्त होता है, इंफ्लेमेशन ठीक होने लगता है।
जिन लोगों को स्किन से संबंधित समस्याएं हैं, वे कपिंग थेरेपी के जरिए इसे ठीक कर सकती हैं। फिर चाहे एक्ने, हप्र्स या पिंपल्स ही क्यों न हो। कपिंग थेरेपी बैक्टीरिया से लड़ता है, और स्किन को शुद्ध करता है। खून से हर तरह की गंदगी को बाहर निकालता है।
उम्र बढ़ने को कौन नहीं रोकना चाहता है? सबकी चाहत यही है कि वह जवां और खूबसूरत दिखे। स्किन पर कपिंग का प्रयोग करके साफ, स्मूद और डिटॉक्सिफाई स्किन को पाया जा सकता है, जो व्यक्ति के युवा दिखने के लिए पर्याप्त है।
कपिंग थेरेपी दर्द से राहत दिलाने में सहायक है। यह टिश्यू को कोमल करता है, जिससे शरीर में रक्त का प्रवाह उन हिस्सों पर बढ़ता है जहां इनकी जरूरत होती है। खून के थक्के को दूर करके मांसपेशियों में होने वाले दर्द को भी ठीक करता है। यह क्रोनिक दर्द को भी दूर करने में प्रभावशाली माना जाता है। इसके जरिए दर्द से छुटकारा पाने वालों का कहना है कि दर्द से निजात दिलाने में मसाज से कहीं ज्यादा राहत उन्हें कपिंग थेरेपी से मिली।
अन्य मसाज के बजाय कपिंग कुछ ज्यादा ही राहत दिलाने वाला माना जाता है। इसका प्रयोग एक सूदिंग माहौल में किया जाता है। कपिंग के दौरान रिलैक्सेशन का अनुभव होगा, जिसमें कप को शरीर के विभिन्न हिस्सों पर घुमाया जाता है। इलाज की यह पूरी प्रक्रिया अपने आपमें राहत दिलाने और तनाव को दूर करने वाली है।
कपिंग थेरेपी के बाद तमाम तरह की एलर्जी से भी व्यक्ति को छुटकारा मिलता है। क्योंकि यह शरीर के अंदर रहने वाले खराब बैक्टीरिया को निकालने में मददगार है। यह सदी- खांसी के इलाज में भी प्रभावशाली है, जो रिस्पायरेटरी सिस्टम से म्यूकस और बलगम को बाहर निकालता है। साथ ही इम्यून सिस्टम की हीलिंग भी करता है।
कपिंग थेरेपी पेट से संबंधित रोगों को ठीक करने के लिए भी बढ़िया है। शरीर में अल्सर या कब्ज का होना आम है। यदि समय रहते इन्हें ठीक न किया जाए तो ये आगे चलकर मुसीबत बन सकते हैं। कपिंग थेरेपी के जरिए शरीर पोषक तत्वों को बेहतरी से ग्रहण कर लेता है। इस तरह से पाचन तंत्र में सुधार लाता है। इसके बाद व्यक्ति की भूख लगने की क्षमता भी बढ़ती है।