LEECH THERAPY
जलौकावचरण
जलौकावचरण
आयुर्वेद में खून की सफाई के लिए जलौकावचरण (लीच थेरपी) का विस्तार से वर्णन किया गया है। जैसे, किस तरह के घाव में जलौका यानी जोंक (लीच) का उपयोग करना चाहिए, यह कितने प्रकार की होती है, जलौका किस प्रकार से लगानी चाहिए और उन्हें किस तरह रखा जाता है, ऐसे सभी सवालों के जवाब हमें सुश्रुत संहिता में मिलते हैं। आर्टरीज और वेन्स में खून का जमना और पित्त की समस्या से होने वाले बीमारी, जैसे: फोड़े, फुंसियों और त्वचा से जुड़ी परेशानियों में लीच थेरपी से जल्दी फायदा होता है।
जलौका दूषित रक्त को ही चूसती है, शुद्ध रक्त को छोड़ देती है। जलौका (लीच) लगाने की क्रिया सप्ताह में एक बार की जाती है।