SHIRODHARA
शिरोधारा
शिरोधारा
भारत में आयुर्वेद का इतिहास बहुत विशाल और व्यापक है। शिरोधारा 5000 वर्ष से भी प्राचीन तकनीक है जिसका प्रयोग करके मानसिक शांति को बनाये रखा जाता है। शिरोधारा के माध्यम से तनाव, अवसाद इत्यादि का इलाज किया जाता है। शिरोधारा में आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से बने हुए खास तरह के तेल के उपयोग से चिकित्सा की जाती है।
इसमें दूध, तेल या मक्खन जैसे तरल पदार्थों का उपयोग किया जाता है। तरल पदार्थों में कई प्रकार की जड़ी-बूटियों को मिलाकर एक दवा अथवा औषधि का रूप दिया जाता है।
इस विशेष पद्धति में तेल दूध या मक्खन से बने तरल पदार्थ को किसी ठोस धातु के बर्तन में भरा जाता है. इसके बाद शिरोधार शुरु की जाती है. पात्र में भरे तरल पदार्थ को माथे में दोनों भौहों के बीच एक निश्चित फ्लो के साथ डाला जाता है।
यह तेल, दूध या मक्खन से निर्मित औषधीय तरल पदार्थ को धातु से निर्मित एक गेंदनुमा संरचना के भीतर डाला जाता है. गेंद के बीच में एक छिद्र के द्वारा अपने दोनों भौहों के बीच इस तरल पदार्थ को छोड़ा जाता है. जो अपने मस्तिस्क को ठंडक प्रदान करता है और तनाव से मुक्ति दिलाता है.
यह थकान को कम करता है और मस्तिष्क कोशिकाओं पर सुखदायक प्रभाव पैदा करता है। ये माथे की त्वचा के नसों के माध्यम से तरल पदार्थों को शांत और सुखदायक ऊर्जा के साथ मस्तिष्क में ले जाते हैं, जो तनाव को कम करने और नींद को प्रेरित करने में मदद करते हैं.
सिर पर तरल पदार्थों के निरंतर प्रवाह के कारण, शिरोधारा मन को शांत और स्थिर करता है, इसलिए मन शांत, स्थिर, और तनाव मुक्त हो जाता है. तनाव व डिप्रेशन की समस्या होने पर शिरोधारा पंचकर्म बहुत लाभ पहुंचाती है.
यह नसों को ढीला करता है, और तनाव से छुटकारा दिलाता है।
इससे बालों की रूसी की समस्या भी ख़त्म हो जाती है. एक महीने में दो बार इसे कर सकते हैं. इससे बाल के झड़ने की समस्या भी ख़त्म हो जाएगी।
यह आयुर्वेद में एक ऐसी तकनीक है जो माइग्रेन से भी सामना करने में मदद करता है. यह माइग्रेन के हमलों को रोकता है।
भटके हुए मन को एक जगह पर लाकर मन को एकाग्रता प्रदान करता है।
चेहरे को पुनर्जीवित करता है और रेखाओं को नरम करता है. जिससे चेहरे की चमक बढ़ जाती है।
अनिद्रा की समस्या को दूर करता है। जो लोग ठीक से सो नहीं पाते हैं उनके लिए शिरोधारा बहुत लाभदायक होती है.