दिल का दौरा चिकित्सकीय आपातकाल होता है. आमतौर पर दिल का दौरा तब होता है जब रक्त का कोई थक्का हृदय की ओर रक्त के बहाव को रोक देता है. रक्त के बिना ऊतक को ऑक्सिजन नहीं मिल पाती और वह मर जाता है.
लक्षणों में छाती, गर्दन, पीठ, या बांहों में खिंचाव या दर्द के साथ थकान, चक्कर, असामान्य हृदयगति, और चिंता शामिल होती है. पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक असामान्य लक्षणों की संभावना होती है.
इसके उपचार में जीवन शैली में बदलाव और दिल की बीमारियों के इलाज के बाद की देख-रेख (रिहैबिलिटेशन) से लेकर दवाएं, स्टेंट और बायपास ऑपरेशन शामिल हैं.
हार्ट अटैक के प्रमुख कारण:
आयु: पुरुष के लिए 45 वर्ष से ज्यादा, और महिलाओं के लिए 55 वर्ष से अधिक उम्र होने पर दिल का दौरा पड़ने की संभावना अधिक होती है।
आहार: व्यस्त जीवन शैली के कारण अनियमित आहार, जंक फूड खाना, या अधिक मसालेदार भोजन दिल के दौरे का कारण बनता है।
आनुवंशिकी: दिल के दौरे का उच्च जोखिम विरासत में भी मिल सकता है।
रक्तचाप: उच्च रक्तचाप के वजह से हृदय पर अनावश्यक तनाव रहती है।
मोटापा: अधिक मात्रा में वजन बढ़ जाने से दिल पर ज़ोर पड़ता है।
नशा: धूम्रपान और मादक द्रव्यों का सेवन करने वालों को दिल के दौरे का खतरा होता है।
मानसिक तनाव: शिफ्ट कार्यरत लोग जो भी तनावपूर्ण कार्य करते हैं, या जो अपने व्यक्तिगत जीवन में लम्बे समय तक तनाव से गुज़रते है वे दिल के दौरे के जोखिम का सामना कर सकते हैं।
इनके अलावा, एनजाइन यानि दिल में ऑक्सीजन की कमी, उच्च कोलेस्ट्रॉल का स्तर, शरीर की निष्क्रियता और डायबिटीज दिल के दौरे के जोखिम का कारक है।
महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण:
हार्ट अटैक के इन निश्चित लक्षणों को महिलायें अक्सर मामूली समझ कर नजरअंदाज कर देते हैं।
●महिलाओं के सीने में और स्तन मैं दर्द होना, शरीर के ऊपरी भाग में यानि गर्दन, पीठ, दांत, भुजाएं और कंधे की हड्डी में तेज़ दर्द होना।
●चक्कर आना, बेचैनी महसूस करना, या सिर घूमना, जी मचलाना, उलटी, पेट खराब होना आदि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक दिखाई देते हैं। दिल में गहराई तक जेक रक्त पहुंचाने वाली दायीं धमनी अवरुद्ध हो जाने के वजह से अक्सर ऐसा होता है।
●जबड़े में दर्द होना महिलाओं में हार्ट अटैक के प्रमुख लक्षण है क्योंकि इसके पास जो नसें होती हैं वे आपके हृदय से निकलती हैं। ये दर्द थोड़ी-थोड़ी देर में होता है।
●सांस लेने में परेशानी, खांसी का दौरा और भारी सांस लेना (एक अध्ययन से पता चला है कि ४२ % महिलाएं जिन्हें हार्ट अटैक आया उन्हें इस समस्या का सामना करना पड़ता है।
●५५ साल उम्र के महिलाओं में हॉर्मोन्स के बदलाव के वजह से अचानक पसीना आना बहुत सामान्य होते है। हालांकि, अचानक पसीना आने पर ये हार्ट अटैक के लक्षण भी हो सकते हैं
पुरूषों और महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण अक्सर समान् पाया जाता है। हालांकि पुरुषों में पाए जाने वाले हार्ट अटैक के ये 3 लक्षण मुख्य है-
●लगातार खर्राटा लेना और सोते समय पर्याप्त ऑक्सीजन न खींच पाना हार्ट अटैक के संकेत हो सकते है। नींद पूरी न होना हार्ट अटैक का खतरा बढ़ा देता है। इसका इलाज जल्द से जल्द होनी चाहिए।
●टहलने पर पैरों में दर्द हार्ट अटैक आने का संकेत हो सकता है। धमनियों का संकुचित हो जाने और रक्त प्रवाह बाधित होने पर जोड़ों में, पेट और सिर मैं खून कम पहुँचता है और पैरो में खून की कमी के वजह से दर्द होता है।
●पेट में दर्द होना और ऊपरी पीठ दर्द होना।
आयुर्वेदिक उपचार
आवश्यक सामग्री:
1. अदरक (ginger juice) - यह खून को पतला करता है। यह दर्द को प्राकृतिक तरीके से 90% तक कम करता हें।
2. लहसुन (garlic juice) - इसमें मौजूद allicin तत्व cholesterol व BP को कम करता है।वह हार्ट ब्लॉकेज को खोलता है।
3. नींबू (lemon juice) - इसमें मौजूद antioxidants, vitamin C व potassium खून को साफ़ करते हैं।
ये रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity) बढ़ाते हैं।
4. सेब का सिरका ( apple cider vinegar) - इसमें 90 प्रकार के तत्व हैं जो शरीर की सारी नसों को खोलते है, पेट साफ़ करते हैं व थकान को मिटाते हैं।
उपयोग विधि:
एक-एक कप नींबू का रस, अदरक का रस, लहसुन का रस, सेब (एप्पल) का सिरका लें. चारों को मिला कर धीमीं आंच पर गरम करें जब 3 कप रह जाए तो उसे ठण्डा कर लें. अब आप उसमें 3 कप शहद मिला लें. इस दवा को किसी साफ हवाबंद बोतल में रख लें.
रोज इस दवा के 3 चम्मच सुबह खाली पेट लें जिससे सारी ब्लॉकेज शीघ्र ही खत्म हो जाएंगी।
रोगियों को विशेष सलाह:
चूँकि ज्यादातर लोग दिल के दौरे के वक्त अकेले होते है बिना किसी की मदद के उन्हें सांस लेने में तकलीफ होती है. वे बेहोश होने लगते है और उनके पास सिर्फ 10 सेकण्ड्स होते है. ऐसे हालत में पीड़ित जोर जोर से खांस कर खुद को सामान्य रख सकता है। एक जोर की सांस लेनी चाहिए हर खांसी से पहले और खांसी इतनी तेज हो की छाती से थूक निकले. जब तक मदद न आये ये प्रक्रिया दो सेकंड से दोहराई जाए ताकि धड्कण सामान्य हो जाए.
जोर की साँसे फेफड़ो में ऑक्सीजन पैदा करती है और जोर की खांसी की वजह से दिल सिकुड़ता है जिस से रक्त सञ्चालन नियमित रूप से चलता है.
जादातर रोगी विशेषज्ञ की देख-रेख में होते है और उनके पास ऐसी आपात स्थिति के लिए विशेषज्ञ सलाह भी होती है और कुछ तुरंत राहत देने वाली दवाइयां भी. मगर अक्सर ये तुरंत पहुँच से दूर होती हैं और असर करने में 2-५मिनट वक्त लेती हैं. ऐसी स्थिति में उपर्युक्त सलाह जान बचा सकती है.