बच्चों में बिस्तर गीला करना (बेड वेटिंग) का इलाज-
बच्चों में बिस्तर गीला करना (बेड वेटिंग) का इलाज-
बच्चा होश में तो अपने पेशाब पर नियंत्रण रख पाता है, लेकिन नींद में नियंत्रण नहीं रख पाते। ऐसा जब पांच साल से ज्यादा उम्र के बच्चे के साथ होता है, तो उसे बिस्तर गीला करना (nocturnal enuresis) कहते हैं।
बेड वेटिंग की समस्या को दो भागों में बांटा जा सकता है, जो इस प्रकार है :
· प्राइमरी बेड वेटिंग (Primary nocturnal enuresis) : जब बच्चा बचपन से ही बिस्तर गीला करता आया हो और पांच वर्ष का होने के बाद भी यह जारी रहे, तो इसे प्राइमरी बेड वेटिंग कहा जाता है।
· सेकंडरी बेड वेटिंग (Secondary nocturnal enuresis) : इस स्थिति में बच्चा लगभग छह महीनों के लिए बिस्तर गीला करना बंद कर देता है, लेकिन उसके बाद यह समस्या फिर शुरू हो जाती है।
नींद में बिस्तर गीला करना बच्चों की कोई शरारत या आलस नहीं है, बल्कि इस समस्या के पीछे कुछ कारण हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं:
1. मूत्राशय की समस्याएं : कुछ बच्चों का मूत्राशय बहुत छोटा होता है, जिस कारण वो पेशाब की ज्यादा मात्रा पर नियंत्रण नहीं रख पाते। ऐसे में तरल पदार्थ का ज्यादा सेवन करने से मूत्राशय पर दबाव बन सकता है और बच्चों में मूत्रस्राव हो सकता है। इसके अलावा, कुछ बच्चों को मूत्राशय पर नियंत्रण रखना सीखने में भी समय लगता है।
2. एंटीडाइयूरेटिक हार्मोन : ये हॉर्मोन शरीर में पेशाब पर नियंत्रण रखते हैं । इनकी कमी से बच्चों में अक्सर बिस्तर गीला करने की समस्या आ सकती है।
3. गहरी नींद : कई बार गहरी नींद की वजह से बच्चों को मूत्राशय पर दबाव महसूस नहीं होता और उन्हें बाथरूम जाने की आवश्यकता महसूस नहीं हो पाती। यह भी एक कारण हो सकता है कि बच्चे बिस्तर गीला कर देते हैं।
प्राइमरी बेड वेटिंग के कारण जानने के बाद, आइए आपको बताएं कि सेकंडरी बेड वेटिंग के कारण क्या हो सकते हैं।
सेकंडरी बेड वेटिंग के कारण प्राइमरी बेड वेटिंग के कारणों से कुछ अलग हो सकते हैं, जैसे -
· यूरिनरी ट्रैक्ट संक्रमण
· मधुमेह
· किडनी की समस्या
· स्लीप एपनिया से पीड़ित
· कब्ज के कारण
· पिनवर्म के कारण
· बढ़ा हुआ थाइराइड हॉर्मोन
बेड वेटिंग की समस्या से अपने बच्चे को बचाने के लिए आप नीचे बताए गए बचाव उपाय अपना सकते हैं :
· बच्चे में हर दो से तीन घंटे में बाथरूम जाने की आदत डालें। कोशिश करें कि वह दिन में कम से कम चार से सात बार बाथरूम जाए।
· कोशिश करें कि बच्चा रात के समय ज्यादा पेय पदार्थों का सेवन न करे, बल्कि सुबह उठने से लेकर शाम 5 बजे तक अच्छी तरह पानी पिए।
· बच्चों को कॉफी, साइट्रस जूस और स्पोर्ट्स ड्रिंक्स पीने से रोकें। ये शरीर में ज्यादा यूरिन का उत्पादन कर सकते हैं।
· अगर बच्चा कब्ज से पीड़ित है, तो उसका जल्द इलाज करवाएं।
इन बचाव उपाय के अलावा जीवनशैली में कुछ परिवर्तन लाने से भी बेड वेटिंग की समस्या से आराम मिल सकता है। लेख के अगले भाग में हम इसी मुद्दे पर बात करेंगे।
बच्चों की जीवनशैली में कुछ परिवर्तन ला कर आप उनकी बिस्तर गीला करने की समस्या का हल कर सकते हैं। ये परिवर्तन कुछ इस प्रकार हो सकते हैं :
रात को सोने से पहले बच्चे की बाथरूम जाने की आदत डलवाएं।
उसे रात के खाने से पहले पेय पदार्थों में जूस या किसी और ड्रिंक की जगह सूप पीने की आदत डलवाएं।
बच्चे को एक बार में पानी का पूरा गिलास पीने की आदत डलवाएं। बार-बार में थोड़ा-थोड़ा पानी पीने से मूत्राशय पर दबाव पड़ेगा।
डॉक्टर की सलाह के अनुसार इस बात का टाइम टेबल बनाएं कि पानी पीने के कितने समय बाद बच्चे को बाथरूम भेजना है और वैसा ही करें। इस प्रकार को बच्चे को धीरे-धीरे समझ आने लगेगा कि उसका मूत्राशय कितने समय में भर जाता है और उसे पेशाब करने की जरूरत कब पड़ती है।
बच्चों को डांटने की जगह उनसे बात करें और उन्हें समझाएं कि यह एक समस्या है जिससे राहत पाई जा सकती है। डांटने से बच्चा घबरा सकता है और उसे ठीक होने में ज्यादा समय लग सकता है।
उपचार के दौरान, जब-जब बच्चा रात भर बिस्तर गीला न करे, तो उसे शाबाशी दें। इससे उसका आत्मबल बढ़ेगा और समस्या का उपचार जल्द हो पाएगा।
आयुर्वेद विज्ञान के मुताबिक कुछ घरेलू नुस्खे अपनाकर बच्चे की इस आदत को ठीक किया जा सकता है
बच्चे के बिस्तर गीला करने की आदत छुड़वाने के लिए उसे रोजान सुबह खाली पेट ठंडे दूध में एक चम्मच शहद मिलाकर पीना चाहिए। ध्यान रखें कि ये शुद्ध शहद हो इसमें चीनी न मिली हो। ऐसा लगातार एक सप्ताह तक करने से आपको राहत मिलेगी।
नींद में पेशाब करने की आदत छुड़वाने के लिए बच्चे को दिन में दो से तीन केले खिलाएं। इससे समस्या दूर होगी।
बच्चे को रोजाना सोने से पहले तीन से चार अखरोट खिलाने से भी रात में सोते समय बिस्तर पर पेशाब करने की आदत से छुटकारा मिलेगा।
आयुर्वेद विज्ञान के अनुसार बच्चे को रोजाना सुबह खाली पेट भीगी हुई किश्मिश खिलाने से भी फायदा होता है। इससे बच्चे को रात में पेशाब कम लगेगी।
कई बार ठंड की वजह से भी बच्चे बिस्तर पर सोते समय पेशाब कर देते हैं। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए बच्चे को सोने से एक घंटे पहले एक गिलास गुनगुना दूध पीने का दें। साथ ही थोड़ा गुड़ खिलाएं।
बिस्तर गीला करने की बच्चे की इस आदत को छुड़वाने के लिए उसे रात को सोने से पहले एक कप गुनगुने पानी में एक चम्मच पिसी अजवाइन घोलकर पिलाएं। इससे समस्या जल्द ही दूर हो जाएगी।
कई बार गुर्दे और मूत्राशय में इंफेक्शन होने के कारण भी बच्चा बार-बार पेशाब करता है। इसलिए इस समस्या को दूर करने के लिए बच्चे को सोने से पहले क्रैनबेरी का जूस पिलाएं। ये एक तरह का फल होता है।
ठंड के मौसम में बच्चों के बिस्तर गीला करने की आदत छुड़वाने के लिए बच्चे को दिन में दो बार एक चम्मच पिसी दालचीनी में एक चम्मच शहद मिलाकर दें। इसे चाटने से शरीर में गर्मी आएगी।
यूं तो इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए घरेलू नुस्खे ही काफी है, लेकिन आप चाहे तो एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी जिसे नवजीवन कहते है। इस चीज का रस या बूटी खाने से भी फायदा होगा |